आज भी वो पड़ोस वाले अंकल याद है
जो मुझ से कहते थे कि लॉलीपॉप चाहिए तो पैंट की जेब में हाथ डाल के खुद ही निकाल लो,
और जब मैं उनकी पैंट की जेब में हाथ डालती थी तो कितनी देर तक लॉलीपॉप पकड़ कर खींचती रहती थी,
मगर अंकल ने इतनी कस के लॉलीपॉप बांधा होता था की उसकी चीनी पिघल के मेरे हाथ में लग जाती थी मगर कभी भी लॉलीपॉप नहीं निकाल सकी”…
सनी लियॉन की किताब
- "मेरा बचपन मेरी शरारतें"
पृष्ठ # 24😉😉😉😜😜
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